गन्नों से लदे वाहनों ने कावड़ियों का सड़क पर चलना किया दुश्वार, बेपरवाह हुए अफसर


बाबू अंसारी स्योहारा बिजनौर...

यु तो तेज रफ़्तार वाहनों की चपेट में आये दिन अपने ही देश में हर दिन सैकड़ो लोग अपनी जान गवां बैठते है, एक अनुमान के तोर पर जिनमे से सबसे ज़ियादा जाने बाईक हादसों में जाती है। पर फिर भी कुछ अपनी तो कुछ प्रशासन की कमी के चलते रोड नियमों का पालन ना करते हुए अपनी मनमानी करते हुए सफ़र जारी रखते है, क्योंकि हम ऐसा करते समय अपने को बुद्धिमान व नियमों को फॉलो करने वाले को बेवाकूफ समझते है इतना ही नही आज हालात ऐसे हो गए है की अगर आप किसी को नसीहत करो तो वो आपकी बात को इस कान से सुन दूसरे कान से निकाल देता है और नसीहत देने वाले को अपना दुश्मन समझता है, ख़ैर ख़बर के उनवान यानी पहलू पर आते है।
नगर की चीनी मिल जब चलती है तो उस तक गन्ना पहुचाने वाले वाहन चालकों की दबंगाई भी नींद से जाग जाती है इसी के चलते उनके लिए  रोड नियमों की कोई अहमियत बाकी नही रह जाती ये वाहन चालक किसान के खेत या गन्ना सेंटर से जब गन्ना भरकर चलते है तो खुद को लंका नरेश यानी रावण समझते है, गाँव से नगर में प्रवेश करते ही उनकी दादागिरी और बढ़ जाती है, जिसे चाहा उसे अपने वाहन से ठोक दिया जहां चाहा अपना वाहन अड़ा दिया इनके लिए किसी का मान सम्मान या नुक्सान कोई मायने नही रखता बाज वाहन चालक तो उलटा चोर कोतवाल को डाटे वाली कहावत पर अमल करते हुए सामने वाले को देख लेने की धमकी तक दे देता है, अगर देखा जाए तो इनकी दबंगई युही उरूज पर नही है इसके पीछे मील का पूरा हाथ है जो कानून तक अपनी मजबूत पकड़ भी रखता है। इसी लिए पुलिस थाने के सामने से होकर गुज़रते ओवर लोड गन्ने से भरे वाहनो को पुलिस द्वारा देख कर भी अनदेखा किया जाता है। कुछ वर्षो पहले तो गन्ना बैल व भैसा गाड़ियों के जरिये मिल तक पहुचता था उसके बाद ट्रको से गन्ने की ढुलाई होने लगी अब इन सबके  "बिग बॉस" यानी ट्रिपलर  को भी इस काम में लगा दिया गया है जो की अकेला ही दो ट्रको की बराबर गन्ना खेत से मिल तक पहुचा रहा है ये जब रोड से गुजरता है वो राह गिर जो एम्बुलेन्स को भी रास्ता नही देते इसके विकराल रूप को देख साईड हो लेते है और अपने रब को याद करते हुए इसके आगे बढ़ने का इन्तजार करते है। शिव रात्रि के पर्व के मौक़े पर हरिद्वार से शिव भक्त कांवरियों की पैदल वापसी में भी ये वाहन पुरे मार्ग पर बाधा बने हुए है, तथा जगह-जगह कावरियों को अपनी यात्रा हट बच कर पूरी करनी पड़ रही है।

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