क्या योगी आदित्यनाथ को इन मुकद्दमों मैं सजा हो पायेगी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ लगे मामलों की सीबीआई जांच से जुड़ी याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है.
उन पर साल 2008 से ही हेट स्पीच, हिंसा के लिए उकसाने और दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने के कई मुक़दमे चल रहे हैं.
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में योगी पर तीन गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.
योगी आदित्यनाथ ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव का पर्चा भरते समय जमा किए गए हलफ़नामे में चार आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी.
मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ पहला मामला साल 1999 में पंचरुखिया कांड में महराजगंज कोतवाली में दर्ज किया गया था.
पंचरुखिया महराजगंज ज़िले में भिटौली कस्बे के पास एक गांव है जहां क़ब्रिस्तान और तालाब की ज़मीन को लेकर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच विवाद था.
आदित्यनाथ ने आरोप लगाया था कि तलत अज़ीज़ और दूसरे लोगों ने उनकी हत्या की नीयत से गोली चलाई थी.
कल्याण सिंह सरकार ने इस घटना की जांच तुरंत सीबीसीआई को सौंप दी. सीबीसीआईडी ने 16 महीने बाद 27 जून 2000 को फ़ाइनल रिपोर्ट अदालत में दाखिल की.
जांच में पता नहीं चल पाया कि गोली किधर से चलाई गई थी. तलत अज़ीज़ का आरोप है कि सीबीसीआईडी ने इस घटना की पूरी तरह से लीपापोती कर दी.
इस मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होनी है.
योगी के ख़िलाफ़ दूसरा मामला साल 2007 में दर्ज हुआ था.
इस मामले में गोरखपुर में मुहर्रम के रवायती जुलूस में शामिल कुछ लोगों से झगड़ा हुआ था.
इसमें देशी कट्टे से चली गोली. मुशीर और शानू को गोली लगी थी. इसके बाद राजकुमार अग्रहरि नाम के लड़के को बुरी तरह पीटा गया. बाद में उसकी मौत हो गई.
हिन्दू युवा वाहिनी ने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने राजकुमार अग्रहरि की पीट-पीट कर हत्या कर दी.
इस घटना को लेकर अगले दिन इस्माइलपुर मुहल्ले में बवाल हुआ और वहां एक मज़ार में आगजनी की घटना हुई. इसके बाद पथराव व हवाई फ़ायरिंग की घटना हुई.
राजकुमार अग्रहरि को न्याय दिलाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में एक सभा की. इस दौरान अल्पसंख्यकों की पांच दुकानों में आग लगा दी गई थी.
अगले दिन योगी हिन्दू चेतना रैली को सम्बोधित करने कुशीनगर गए और वहां से लौटते समय गोरखपुर में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. उनकी गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ पूर्वांचल के 10 जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए, अल्पसंख्यकों और उनकी दुकानों पर हमले किेए गए थे.
हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2008 में मुक़दमा दर्ज हुआ. राज्य सरकार ने मामला सीबीसीआईडी को सौंप दिया.
सीबीसीआईडी ने जांच पूरी कर फ़ाइनल रिपोर्ट तैयार की और उसे सरकार को भेज दिया.
इस याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रखा है.

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