UP में 24 घंटे बिजली पहुंचाने का अभियान युद्धस्तर पर छेड़ने की तैयारी-योगी सरकार

उत्तर प्रदेश को चौबीस घंटे बिजली देने की तैयारी शुरू हो गई है. योगी सरकार ने इसके लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया है. लक्ष्य है कि जहां-जहां कनेक्शन हैं, वहां चौबीस घंटे बिजली पहुंचाई जाए. इसके साथ ही प्रदेश के करीब डेढ़ करोड़ बिजली से वंचित घरों तक भी बिजली पहुंचाने का अभियान युद्धस्तर पर छेड़ने की तैयारी है.

इसके अलावा बिजली मीटरों की संख्या में गुणात्मक बढ़ोत्तरी के लिए भी मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. कोशिश है कि हर घर में मीटर लग जाएं.  यूपी में सरकार बनते ही केंद्र से पावर मिनि​स्ट्री के अफसर लगातार उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के संपर्क में हैं.

जानकारी के अनुसार यूपी के आला अफसरों ने सरकार को जो अभी शुरुआती रिपोर्ट दी है, उसमें दावा किया गया है कि चौबीस घंटे बिजली देने के लिए कार्पोरेशन 90 प्रतिशत से ज्यादा तैयार है. कुछ जगह फीडर ओर सब स्टेशन स्तर पर दिक्कत है, जिनके लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

हालांकि जानकारों का मानना है कि यूपी को चौबीस घंटे बिजली देना अभी दूर की कौड़ी है. बिजली उपलब्ध भी करा दी गई तो इसको आम आदमी तक पहुंचाने की जो वर्तमान व्यवस्था है, वह ही काफी जर्जर है.

आॅल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि जितने कनेक्शन हैं, उन्हीं को चौबीस घंटे बिजली देने की क्षमता हमारे पास नहीं है. स्थिति ये है कि चौबीस घंटे सप्लाई जहां हो रही है, वहां भी ट्रांसफार्मर न उड़ जाए, इसके लिए मजबूरी में एक से डेढ़ घंटे कटौती करनी पड़ती है, जबकि बिजली वहां उपलब्ध है.

वैसे बिजली के मामले में खुद सीएम आदित्यनाथ योगी बेहद गंभीर नजर आ रहे हैं. पद संभालते ही उन्होंने प्रबंध निदेशकों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी घरों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए वितरण नेटवर्क की उपलब्धता का मूल्यांकन करके दो दिन में बताएं. इसकी रिपोर्ट 23 मार्च को सीएम के समक्ष पेश की जानी है.

निर्देशों में कहा गया है कि साथ ही समीक्षा कर बताएं कि जनवरी से अब तक प्रदेश के जिला मुख्यालयों, ग्रामीण क्षेत्रों, तहसील में कितनी बिजली सप्लाई की गई और जुलाई तक कितनी बिजली की जरूरत है. सीएम ने पूछा है कि  वे कारण बताएं कि पीक आवर्स में रोस्टर के मुताबिक क्यों ​बिजली नहीं दी जा पा रही है?

ये है यूपी ​में बिजली सप्लाई का रोस्टर

वर्तमान रोस्टर की बात की जाए तो अखिलेश सरकार ने जो आखिरी पलों में उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई का रोस्टर तय किया था. उसके तहत जिला मुख्यालय, शहरी इलाके में चौबीस घंटे बिजली दी जानी है. तहसील मुख्यालय में 20 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 16 से 18 घंटे बिजली दी जानी है.

करीब 12000 मेगावाट बिजली की उपलब्धता उत्तर प्रदेश में है. हालांकि गर्मी बढ़ने के साथ ही मांग करीब 18000 मेगावाट तक पहुंच जाती है. इस करीब छह हजार मेगावाट की कमी केंद्रीय पूल से बिजली लेकर पूरी की जानी है.

निर्देश हैं कि वितरण इकाई के अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता कैबिनेट मंत्री के पहले जिला भ्रमण के दौरान बिजली की पोजीशन बताएंगे. इसमें बिजली सप्लाई, ट्रांसफार्मर बदलने, उपभोक्ताओं की शिकायतें और बिजली सुधार की जानकारी देनी होगी. ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 900 करोड़ रुपए जारी किए हैं, जिसका उचित ढंग से उपयोग किया जाए.

'जनता की हर शिकायत को गंभीरता से लें'

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बिजली की शिकायतों को गंभीरता से लेने की हिदायत दी है. साफ निर्देश हैं कि भारत सरकार के एप ऊर्जा में दर्ज शिकायतों के निपटारे में यूपी को नंबर एक होना चाहिए. इसकी निगरानी पावर कार्पोरेशन के प्रबंधन निदेशक और निदेशक तकनीक व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे.

उपभोक्ताओं की दी जाएगी एसएमएस से जानकारी

सीएम की तरफ से निर्देश दिए गए हैं जहां भी ब्रेकडाउन होना है, उसकी जानकारी वहां के उपभोक्ता को एसएमएस से दी जाए.

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