आनंदपाल के एनकाउंटर की सीबीआई जांच में हिचक क्यों?


एसपी मित्तल
राजस्थान के कुख्यात अपराधी आनंदपाल का एनकाउंटर 24 जून की रात को हुआ था। 28 जून गुजर जाने के बाद भी आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है। मृतक परिजन एनकाउंटर की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। राजपूत समाज के विभिन्न गुट आनंदपाल की मौत पर एकजुट हो गए हैं।
लोकेन्द्र सिंह कालवी द्वारा खड़ी की गई करणी सेना ने 30 जून को जयपुर बंद का ऐलान भी किया है। प्रदेश के कई हिस्सों में आनंदपाल के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। आनंदपाल भले ही एक अपराधी रहा हो, लेकिन अब उसका एनकाउंटर राजनीति से जुड़ गया है। राजस्थान की सरकार पहले आनंदपाल की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर कटघरे में खड़ी थी तो अब एनकाउंटर के बाद अनेक सवालों से घिरी हुई हैं।
प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने छाती ठोंक कर कहा था कि आनंदपाल का एनकाउंटर हकीकत है। हमारी पुलिस ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसे छुपाया जाए। एके 47 से सौ राउंड गोलियां चलाकर आनंदपाल ने पुलिस के साथ पूरा मुकाबला किया। सवाल उठता है कि जब एनकाउंटर में कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ तो फिर सीबीआई जांच करवाने में हिचक क्यों है? कटारिया ने कहा था कि यदि परिजन चाहेंगे तो सीबीआई से जांच करवाई जाएगी। सवाल अब आनंदपाल के अपराधिक जीवन का नहीं है, क्योंकि उसे तो अपने कर्मों की सजा मिल गई। लेकिन सवाल सरकार की विश्वसनीयता का है?
लोकतांत्रिक प्रणाली में किसी भी सरकार की विश्वसनीयता होनी ही चाहिए। इसके साथ ही परिजनों का भी यह दायित्व है कि वे शव का अंतिम संस्कार करें। अब जब आनंदपाल की बेटी भी दुबई से लौट आई हैं तो उसे समझदारी का परिचय देना चाहिए। गर्मी और बरसात के उमस भरे माहौल में आनंदपाल का शव खराब हो रहा है। कोई भी बेटी यह नहीं चाहेगी कि उसके पिता के शव की दुर्गति हो। 

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