निष्पक्ष पत्रकारों को तरह तरह से भयभीत किया जा रहा है?
बस्ती : पत्रकारों को लेकर जिले ही नहीं, बल्कि पूरे मंडल आदि क्षेत्रों में अब तनाव और झगड़ा की हालत बनती जा रही है। खुद पर उत्पीड़न और हिंसक वारदातों को लेकर पत्रकारों ने आज जिलाधिकारी से भेंट की, और मुख्यमंत्री के लिए एक मांग ज्ञापन भी सौंपा। एक प्रतिनिधिमंडल के तौर पर इन लोगों ने स्थानीय नगर कोतवाल और पुलिस चौकी प्रभारी को तत्काल निलम्बित करने की मांग की है। जबकि इस मामले में प्रतिवादी बनाये गये लोगों का आरोप है कि पूरे जिले में पत्रकारों के नाम पर केवल दलाली, भारी गुण्डागर्दी और रंगदारी उगाहने का धंधा फैलता जा रहा है।
एक बयान के अनुसार बस्ती जिले में पत्रकारो के ऊपर हुए हमले को लेकर बस्ती जिले के पत्रकारो ने इण्डियन जर्नलिस्ट एसोशिएसन के मंडल उपाध्यक्ष विवेक गुप्ता की अध्यक्षता में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर कार्यवाही की मांग किया। हालांकि यह दीगर बात है कि इस ज्ञापन को देख कर ऐसा लगता ही नहीं कि यह किन्हीं लिखे-पढ़े पत्रकारों ने तैयार किया है।
पत्रकारो ने मुख्य मंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा की जनपद बस्ती में पत्रकार उत्पीड़न की घटनाये बढ़ गयी है। प्रशासन का रवैया सहयोगात्मक नही हैं। निष्पक्ष पत्रकारो को तरह तरह से भयभीत किया जा रहा है। पत्रकार निडर होकर समाचारो का कवरेज नहीं कर पा रहे है। अस्थिरता का माहौल मीडिया और प्रशासन के बीच का समन्वय खत्म कर रहा है। विगत 10 दिनों के भीतर दो घटनाओ में स्थानीय प्रशासन व् पुलिस अधिकारी पीडितो को न्याय दिलाने के बजाय गुंडों और आरोपियों के साथ खड़े रहे है। ऐसे में हम बस्ती जनपद के पत्रकार आपसे निम्नलिखित मांग करते है जिससें मीडिया और प्रशासन के बीच पूर्व भाँति समन्वय का माहौल बना रहे और हम पत्रकार खुद को सुरक्षित महसूस करते हुए अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके।
इस ज्ञापन में अजय श्रीवास्तव के प्रकरण को भी शामिल किया गया है। विवेक गुप्ता ने कहा अगर हमारी मांगों को जल्द से जल्द पुरा न किया गया तो हम पत्रकारगण आगे धरना प्रदर्शन करेगे और अगर उससे भी हमारी मांगे पूरी न हुई तो हम सभी पत्रकार मिलकर आगे के आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। आपको बता दें कि विवेक गुप्ता पर एक सरकारी संविदा कर्मचारी से 20 हजार रूपयों की ब्लैकमेलिंग से उगाहने का आरोप लग चुका है।
ज्ञापन के अनुसार इस मौके पर महेंद्र तिवारी, विवेक गुप्ता, संतोष सिंह, सतीश श्रीवास्तव, मो0 आशिफ,ओपी त्रिपाठी, प्रेमनाथ गौड़, एसपी श्रीवास्तव, वशिष्ठ पाण्डेय, लालू प्रसाद यादव, अनिल श्रीवास्तव, राजेश पाण्डेय, वसीम अहमद, संतोष श्रीवास्तव, धनञ्जय श्रीवास्तव, रजनीश त्रिपाठी, पुनीत ओझा, तनवीर आलम, पारस नाथ मौर्या, राकेश गिरी, अजय श्रीवास्तव अश्क, सोहन सिंह, रमेश मिश्रा सहित तमाम पत्रकार रहे मौजूद। लेकिन बस्ती प्रेस क्लब के महामंत्री महेंद्र तिवारी ने साफ कह दिया कि वे उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं थे। उनका कहना है कि उस समय वे एक अन्य काम से पहुंचे थे, जिसका इस प्रतिनिधिमंडल से कोई लेनादेना नहीं था। वैसे भी ज्ञापन में जितने लोगों की शक्ल दिख रही है, उनकी संख्या केवल आधा दर्जन भर ही है, दर्जनों नहीं।
उधर महावीर होटल में खाद्य विभाग की कथित छापामारी के दौरान हुए बवाल को लेकर पर कुछ नये तथ्य सामने आये हैं। मेघराज गुप्ता और अरूण सिंह आदि प्रतिवादियों ने साफ बयान दिया है कि छापामारी के दौरान कोई भी बवाल नहीं हुआ था और न ही संतोष सिंह का कैमरा तोड़ा गया था। आरोप तो यहां तक है कि संतोष सिंह मेघराज गुप्ता नामक गरीब ढाबा मालिक से 25 हजार रूपयों की गुण्डा-टैक्स वसूलने की जुगत में थे। आरोप तो यहां तक हैं कि संतोष सिंह का यह बयान सिरे से झूठा है कि उनका कैमरा तोड़ा गया था, जबकि उस विवाद के बाद संतोष सिंह पास के सेंटल बैंक गये थे, जिसकी सीसीटीवी रिकार्ड बैंक के पास मौजूद है। आपको बता दें कि मेघराज का एक निहायत छोटा होटल चलता है।
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