राष्ट्रपति कोई भी बने गौरक्षक तो ले सकते हैं हमारी जान
नई दिल्ली। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की और से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किये जाने को लेकर उना कांड के पीड़ितों ने कहा कि दलित राष्ट्रपति बनने से उनका दर्द कम नहीं होने वाला है. याद रहे पिछले साल 11 जुलाई को उना में बालू के दो बेटों और दो भतीजों की कथित गौरक्षकों ने पिटाई की थी.
इस बारें में बालू का कहना है कि “हमारे परिवार ने गाय का चमड़ा उतारने का काम छोड़ दिया है लेकिन गौरक्षकों का डर बना हुआ है. हम चाहते हैं कि हमारे बेटे अहमदाबाद में बस जाएं.”
बालू कहते हैं, “मैं गांव में रहूंगा. अगर वो मुझे मार देते हैं तो कोई बात नहीं। वो गुस्सा हैं और कभी भी बदला ले सकते हैं. अगर मेरे बेटे को जेल हुई होती तो मुझे भी ऐसा ही लगता. इस बार उन लोगों ने हम पर हमला किया तो कोई वीडिया वायरल नहीं होगा, लेकिन वो देखने लायक मंजर होगा.”
बालू करीब 20 साल तक बीजेपी के कार्यकर्त्ता रहे. बालू के अनुसार वो हर चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार करते थे. लेकिन अब उनका बीजेपी से मोहभंग हो चुका है.
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