इंसाफ की आवाज उठाने वाले इस मुसलमान हो बताया जा रहा है आईएसआई एजेंट


इनका नाम है मुस्तक़ीम सिद्दीकी । झारखंड में रहते हैं लेकिन भीड़ और प्रशासन के हाथों हिंसा एवं अन्याय के शिकार लोगों के लिए पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक पहुंच जाते हैं। इंसाफ इण्डिया के नाम से इनका कैम्पेन चलता है। यह कैम्पेन वह पूरे साल चलाते हैं।

कभी सांप्रदायिक हिंसा के शिकार मुसलमानों तो कभी जातिवाद के नाम पर अन्याय झेल रहे आम जन के दर्द में सहभागी बनते हैं।

हाल ही में जमशेदपुर पुलिस ने इन पर तथा इनके अन्य साथियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। मुस्तक़ीम चूंकि मुसलमान हैं तो उन्हें हिंदुस्तान अख़बार ने आईएसआई से रिश्ता रखने का अंदेशा जताया बाकि के साथी हिंदू हैं तो उन्हें नक्सली। अख़बार ने पुलिस की ज़ुबान बोली।

मुस्तक़ीम कभी बाइक से तो कभी ट्रेन की जनरल बोगी में फर्श पर बैठ कर जनता के लिए संघर्ष करने निकल पड़ते हैं। एक बार बाइक पंक्चर हो गई तो बेचारे कई किमी पैदल खींच कर लाए क्योंकि जहां पंक्चर हुई वहां जंगल था। न्याय दिलाने का कार्य राज्य सरकारों का है, परंतु यह कार्य मुस्तक़ीम कर रहे हैं फिर भी मुस्तक़ीम विद्रोही हैं। ऐसा झारखंड पुलिस कहती है।

मुस्तक़ीम सुदूर गाँवों में रहे अत्याचार की रिपोर्टिंग भी करते हैं। वे पहुंचते हैं वहां जहां मीडिया नहीं पहुंच पाती।

अब आप तय करें कि नेताओं के लिए कलाम पेश करने वाले आपका नेतृत्व करेंगे या फिर झारखंड पुलिस का दमन झेल रहे मुस्तक़ीम जैसे क्रांतिकारी साथी। तय कीजिए कि बसपा के मंच से सपाइयों को गुंडा कहने वाला, सपाईयों के मंच से बसपाईयों को कोसने वाला, कांग्रेस के मंच से भाजपा को लताड़ने वाला शख्स आपके लिए लड़ेगा, इंसाफ की मांग करेंगे या फिर ट्रेन की फर्श पर बैठ कर सफर करने वाले लोग।

तय कीजिए की सरकारी मुकदमों को झेलने वाले आपके अपने हैं या फिर सरकारी पुरूस्कार और पेंशन लेने वाले लोग। आराम से तय कीजिए। बहुत जल्दी नहीं है।

#यशभारती_वापस_करो

Mohammad Anas की फेसबुक वॉल से

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