शायद इस बार राष्ट्रीय ध्वज को 'सलाम' करने वाला 'उपराष्ट्रपति' मिल जाए
सूर्य प्रताप सिंह
उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा हो गयी है। वर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा 'प्रोटोकोल' की आवश्यकता न होने के 'बहाने'(Excuse) से राष्ट्रीय झंडे को सलामी देना गवारा नहीं .... शायद 'राष्ट्र' से पहले मुल्ला-मौलवियों के डर वाला 'धर्म' आगे आ जाता है.... फ़तवा न जारी हो जाए। शपथ लेते समय संविधान पालन की सौगंध खायी जाती है ...उस समय क्यों मना नहीं किया था, शायद उपराष्ट्रपति भी नहीं बनते।
इस देश में रहकर ही ये सब करने की स्वतंत्रता है। इस देश का नमक खाना है, पद भी पाना है, हर चीज़ पर हक़ जताना है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करने और भारत माँ की जय बोलने पर मुल्ला-मौलवियों के फ़तवे से डर लगता है..... राष्ट्र धर्म व माँ भारती की बात करो तो कुछ और मतलब निकला जाता है।
यदि राष्ट्र के प्रति प्रेम हो तो राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करना दिल से आएगा.....प्रोटोकोल बाधा नहीं बनेगा।
'Nation First' (राष्ट्र सर्वोपरि) के सिद्धांत के पालन से ही अमेरिका आज नम्बर-१ देश है.....
(लेखक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं)
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