क्या 'अखिलेश' में आज़म को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस है ?


सूर्य प्रताप सिंह
आज़म ख़ान ने भारत की देशभक्त सेना को 'बलात्कारी' कहा.... पाकिस्तानी (महिला) आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में शहीद होने वाले जवानों के 'प्राइवेट-पार्टस' को म्यूटिलेट( काटने) करने को सही ठहराया।
इस खल ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में प्रायोजित आतंकवाद से जूझते हुए बहादुर सैनिकों का मनोबल तोड़ने का जघन्य अपराध किया है। यह दुष्कृत्य हमारे 'दुश्मन' देश 'नापाक' पाकिस्तान की हिमायत कर क़ानूनी तौर पर देशद्रोह की परिधि में आता है। यह अक्सर देखा गया है कि जब भी प्रधानमंत्री मोदी विदेश में पाकिस्तान को आतंकवाद पर घेरते हैं, यह 'अधम' आज़म ख़ान ऐसे ही पाकिस्तान समर्थक निकृष्ट बयान देता है। इसने सारे रामपुर में वक़्फ़ की ज़मीन/ ग़रीबों की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा किया हुआ है। राज्य सरकार को तत्काल इस दुरात्मा के ख़िलाफ़ अविलंब करवाई करनी चाहिए।
आज़म ख़ान एक देशद्रोही राजनीतिक scoundrel (लुच्चा-लफ़ंगा) है ... इसने शहीदों के दुःखीमन माता-पिता/ परिजनों का अपमान किया है।
आप ही बताएँ, सेना को प्रेम व सम्मान देने वाले सारे देशभक्तों के अपमान की इस 'क्षुद्र' पापी आज़म को क्या सज़ा मिलनी चाहिये ? क्या चुन-२ के गाली दी जाए ? या ....
- क्या इन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाए ? या फिर
- देशद्रोह के आरोप में तत्काल गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया जाए ?
क्या 'अखिलेश' में आज़म को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का साहस है ?
(लेखक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं)

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