वादे पूरे नही हुए तो क्या हुआ योगी जी के 100 दिन तो पूरे हो गए?


 योगी सरकार के सौ दिन पूरे हो गये। प्रदेश के पहले भगवाधारी संन्यासी मुख्यमंत्री को सौ दिन सिर्फ आपदा प्रबंधन करने में बीत गये। एक घर गृहस्थ राजनीतिक नेता और घर परिवार से विरत संन्यासी की कार्यशैली कार्य व्यवहार व सोच में फर्क होता है।
अब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर राजनैतिक लोगों आसीन होकर सरकार को अपने तरीके से चला रहे थे किन्तु अब एक अध्यात्मिक धार्मिक राजनीतिक व्यक्तित्व को सरकार अपने ढंग से चलाने के लिये अपनी मानसिकता वाले मूलभूत ढाँचे की जरूरत है। वर्तमान ढाँचा वहीं पुराने ढर्रे पर चलकर हरामखोरी करने वाला रहा है और जो लोग ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ हैं उनकी गिनती नहीं है।
मुख्यमंत्री के बाल बच्चे नहीं हैं किन्तु उनके साथ व्यवस्था से जुड़े हर अधिकारी कर्मचारी के बाल बच्चे हैं और सबकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं।इन सब अवरोधों के बीच योगीजी के सौ दिन जैसे तैसे पूरे हो गये। इन सौ दिनों में जो राजनैतिक खेती की गयी है अभी उसकी फसल नहीं तैयार हुयी है। योगीजी ने शपथ लेने के बाद से जो भी निर्णय लिये वह सभी अच्छी सोच व नेक नियतीपूर्ण जनहित में लिये गये हैं किन्तु उन निर्णयों को लागू कराने वालों की नियत पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
एनटी रोमियो अभियान में गुन्डों पर रोक भले ही न लग सकी हो लेकिन लड़की या जवान महिला को साथ लेकर चलना दुश्वार हो गया।एनटी रोमियो अभियान लुच्चों लफगों मनचलों एवं गुण्डों के खिलाफ चलाया गया था एक साथ पार्क आदि स्थानों पर बैठने वालों दोस्तों के खिलाफ नहीं था। योगी जी कार्यशैली अधिकारियों के लिये सिरदर्द बनी हुयी है और सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें हो रही है जो रात नौ बजते ही सुरा और सुन्दरी में लिप्त हो जाते थे।
सौ दिन में योगीजी ने भले ही तमाम निर्णय लिये हो किन्तु अभी वह धरातल पर मूर्ति रूप नहीं ले सके हैं।मुख्यमंत्री योगीजी द्वारा सौ दिन की उपलब्धियों में किसानों का एक लाख तक कर्जमाफी, अयोध्या फैजाबाद वृंदावन मथुरा को नगर निगम का दर्जा देने, कैलाश मानसरोवर यात्रियों का अनुदान बढ़ाकर पचास हजार करने,  एनटी रोमियो अभियान, गजियाबाद में मानसरोवर भवन की स्थापना करने का निर्णय, भूमाफियों के खिलाफ अभियान, सबको आवास व बिजली की मुहिम शिक्षा स्वास्थ्य व्यवस्था पर जोर बुनियादी ढाँचे आदि पर फोकस किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के पिछड़ेपन के लिये पिछली सरकारों का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है।मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि इन सौ दिनों में गुन्डों व भ्रष्टाचार पर नकेल लगाई गयी है। मुख्यमंत्री योगी जी एक और फैसला स्वेत पत्र लाने का किया है जो राष्ट्रपति चुनाव के बाद लाया जा सकता है।गाँवों में खराब रिबोर लायक हैन्डपम्पों को रिबोर कराने का अधिकार दे दिया गया है।योगी सरकार के सौ दिन सिर्फ फैसले लेने में गुजर गये इसीलिए बसपा प्रमुख कहती है कि योगीजी ने एक अंक भी देने वाला कोई कार्य नहीं किया है।
कांग्रेस कहती है योगी जी ने सौ दिन में कार्य नहीं सौ फरेब किये हैं। कुल मिलाकर जहाँ विपक्षी दल योगी जी के सौ दिन के कार्यकाल को पूरी तरह फेल मान रहे हैं वहीं भाजपा इसे स्वर्णिम काल के सफलतम् सौ दिन मान रही है।आम जनता इन सौ दिनों को घांऊ माऊँ का समय मान रही है जिसमें निर्णय तो बहुत हुये लेकिन परिणाम किसी का भी सामने नहीं आया।सरकार ने भले ही कर्जमाफी योजना के लाभार्थियो की सूची बैकों में भेज दी हो लेकिन उसका क्रियान्वयन आज तक शुरू नहीं हो सका है।पेट्रोल पम्पों के विरुद्ध चलाये गये महाअभियान की कोई खास कार्यवाही प्रकाश में नहीं आ सकी है।
हैन्डपम्पों के रिबोर और गाँव के अवरूद्ध विकास कार्य अबतक नहीं शुरू हो पाये हैं।यह सही है कि सौ दिनों की परीक्षा में सरकार जनता की नजरों में खरी नहीं उतरी है इसके बावजूद लोगों को उम्मीद है कि योगीजी की अगुवाई में प्रदेश भ्रष्टाचार साम्प्रदायिकता जातिवाद से मुक्त विकास के पथ पर फर्राटें भरेगा।
               भोलानाथ मिश्र
     वरिष्ठ पत्रकार/ समाजसेवी
 रामसनेहीघाट,बाराबंकी यूपी

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