लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ इस गब्बर सिंह का नाम


रायबरेली जिले के लालगंज क्षेत्र के तेजी से उभरते चित्रकार गब्बर सिंह जिनका एक कीर्तिमान अभी हाल ही में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड मे दर्ज हुआ है। चित्रकार गब्बर सिंह चावलों से कलाकृति बनाने के लिए काफी मशहूर हैं व उनकी बनाई कई कलाकृतिया काफी फेमस है जिनमे से एक तिरंगा है , चित्रकार अक्सर अपनी चित्रकारिता से सुर्खियों मे बने रहते है।

१. सवाल : कलाकारी की दिशा में आपका रूख कैसे हुआ ?

जवाब : बचपन से मेरा आर्ट सबसे फेवरेट सबजेक्ट रहा, मैने सोच रखा था मुझे जो कुछ भी करना है इसी क्षेत्र में करना है , रवानगी तो तब आ गई जब 14 अगस्त 2009 मे एक बडे दैनिक समाचार पत्र मे मेरी पेंटिंग प्रकाशित हुई तभी से मेरा रूख इसकी तरफ कुछ ज्यादा ही हो गया । जो अभी तक जारी है । और आगे भी जारी रहेगा ।

२. सवाल : चावल के दानों बनी आपकी कलाकृतियां काफी फेसम हैं कैसे ये आइडिया आया ?

जवाब : कला के क्षेत्र मे मै कुछ नया करना चाहता था, और नया लोगों को तब लगेगा जब कुछ बहुत कठीन काम होगा तब एक दिन मुझे लगा क्यो न चावल से कुछ बनाया जाए। क्योकि ये एक एक चावलों को गिनना और लगाया इतना आसान नही था ।

३. सवाल : कौन सा बडा लक्ष्य  है आपका ?

जवाब : बडा लक्ष्य अब मेरा गिनीज बुक में नाम दर्ज कराना है । यही मेरा लक्ष्य बाकी मेरे कई लक्ष्य बडे लक्ष्य हैं जो मै सो (शेयर ) नही करना चाहता ।

४. सवाल : जैसा कि गिनिज बुक में नाम दर्ज कराना आसान नही है क्या कहते हैं आप ?

जवाब : जी हां , बात आपकी सही हैं । ये इतना आसान काम तो नही है पर फिर भी मेरी कोशिश जारी है । इतना बडा काम करने में वक्त तो लगेगा ही, अभी लगभग एक से डेढ साल तो लग ही जाएंगे , देखिए क्या होता है आगे ।

५.सवाल : आपकी वो फेमस कलाकृति तिरंगे को बनाने वक्त कभी ऐसा लगा कि कठिन है न बनाएं ?

जवाब :  जी हां हुआ ऐसा कि जब मैने बनाना शुरू किया तो दो दिन तो अच्छा लगा पर एक एक चावलों को गिन के लगाना बडा कठिन काम था कभी कभी लगता छोड दे पर नही बात मेरी जान तिरंगे की थी कैसे छोड देते , पर गजब तो तब हो गया था साहब जब मेरा तिरंगा आधा लगभग जब बन गया था रात को बनाने के बाद मै उसको अलमारी में रख देता हूं और रात को चूहों द्वारा आधा तिरंगा खा लिया जाता है । मै जब सुबह उठकर देखता हूं तो मेरे पैर के नीचे से जमीन खिसक जाती है , उस वक्त हार गया कि अब नही बन पायेगा । पर फिर अंदर से लगा नही फिर से कोशिस करना चाहिए और फिर बनाया और आज आपके सामने है जो कुछ भी है ।

६. सवाल : आप चावलों से कलाकृति बनाते हैं कोई खास वजह ?

जवाब : जब भी कोई काम करो सबसे हटकर करो कोई कठिन काम होगा तभी नाम होगा। एैसे कोई नही पूछेगा ।

७. सवाल : चित्रकार कौन कौन से रिकार्ड आपके नाम हैं। और कौन-कौन से पुरस्कार

जवाब : मेरे नाम दो रिकार्ड हैं । दोनों नेशनल रिकार्ड है । एक उत्तर प्रदेश बुक ऑफ रिकार्ड और दूसरा लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड है इसके अलावा राष्ट्रीय सहारा अखबार की तरफ से दो बार पुरस्कृत ।

८. सवाल : कौन है जो आपको हमेशा सपोर्ट करता रहता है ।

जवाब : कई लोग हैं जिसमे सबसे पहले मेरी मम्मा और मेरे पापा जो हमेशा मेरा सपोर्ट करते हैं । और लालगंज के सिद्धार्थ त्रिवेदी जो लोगों में मेरी चर्चा हमेशा बनी रहने के लिए सपोर्ट करते रहते है । मीडिया में प्रकाशन के लिए आप बहुत प्रयास करते है इसके अलावां उत्तराखंड के हरिमोहन सिंह एैठानी , बरेली के राकेश वैद सर है ।

९. सवाल : कैसा लगता है जब आपका नाम लोग लेते हैं अजीब नही लगता । मेरे हिसाब से फनी नेम है आपका ।

जवाब : नहीं बिल्कुल अजीब नहीं लगता, आदत पड गई है, अच्छा लगता है । कहीं-कहीं नाम का बेनीफिट भी मिल जाता है । मेरा नाम लोग लेते हैं फिर मुस्कुराते हैं और तब मुझसे बात करते हैं । तब मुझे अच्छा लगता है कि चलो मुझमे न सही मेरे नाम मे तो वो बात है कि लोगों के होठो पर मुस्कान आ जाए।

१०. सवाल : आपका नाम गब्बर सिंह रखा किसने ,ये जानना चाहते हैं हम ?

जवाब : जी मेरी दादी ने रखा है । मेरे पापा की मम्मी ने । धन्यवाद उन को कि इतना मस्त नाम रखा मेरा ।

११. सवाल : आप चित्रकार के अलावां कुछ और बनना चाहते हैं ?

जवाब : जी नहीं, मै जिस रास्ते पर निकल पडा हूं उसी पर सफर जारी रहेगा, मै बडा चित्रकार बनना चाहता हूं । और कुछ नही ।

१२. सवाल : अच्छा इनदिनों अब क्या तैयारी चल रही है ।

जवाब : फिर नया धामाका करने वाले हैं जल्द, बस वही तै़यारी चल रही हैं। इसबार भी चावल के दानों से नया कुछ बना कर नया कीर्तिमान करने जा रहा है ।

   हमारी टीम लगातार चित्रकार के सम्पर्क में बना हुई है साथ ही उसकी इस काबिलियत को आम जनमानस तक पहुचाने की पूरी कोशिस भी कर रही है ताकि इस होनहार को कोई सही पायदान मिल सके ।

नाम : गब्बर सिंह
पिता : श्री सुदर्शन
शिक्षा : इण्टर
शिक्षण संस्थान : शैली शिक्षा निकेतन (क्लास १ से ८ तक कि शिक्षा )
बैसवारा इण्टर कालेज लालगंज ( क्लास १० से १२ तक की शिक्षा)

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