योगी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धी, उत्तर प्रदेश बन रहा है हत्या प्रदेश


एक तरफ योगी सरकार सौ दिन पूरे होने पर अपनी सरकार की उपलब्धियाँ गिना रही है वहीं अपराधी भी सौ दिन की सरकार में अपनी उपलब्धियाँ गिनाकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा रहे हैं।योगी जी के लाख प्रयासों के बावजूद अपराधियों और अपराधिक घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।एक के बाद एक हो रही घटनाओं के आगे सरकार द्वारा सौ दिनों में किये गये तमाम कल्याणकारी कार्य पीछे हो गये हैं ।
रायबरेली जिले के ऊँचाहार क्षेत्र के इटोरा बुजुर्ग गाँव में सोमवार की रात प्रधानी चुनाव को लेकर पाँच लोगों की नृशंस सामूहिक हत्या पीटकर व जिन्दा जलाकर कर दी गयी।मूलरूप से प्रतापगढ़ के संग्राम गढ़ थाना क्षेत्र अन्तर्गत देवरा गाँव के पूर्व प्रधान रोहित शुक्ल अपने भाई देवाशीष शुक्ल की ससुराल इटोरा बुजुर्ग में प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।यह बात इटोरा बुजुर्ग के वर्तमान प्रधान राजा यादव उर्फ विजयबहादुर यादव को अच्छी नहीं लग रही थी और इसी बात को लेकर दोनों मे रंजित चल रही थी।सोमवार की रात करीब आठ बजे रोहित शुक्ल अपने साथियों के साथ प्रधान के गाँव सफारी कार से गया था।
कहते हैं कि वहाँ पर दोनों पक्षों में तूल तकरार और फायरिंग हुयी।इसके बाद गाँव वाले प्रधान के पक्ष में आ गये जिससे रोहित आदि को वहाँ से भागना पड़ा।इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि हडबडाहट में कार कुछ दूर पर जाकर बिजली के पोल से टकराकर पलट गयी।गाँव वालों ने कार को घेर लिया और रोहित समेत दो लोगों को कार जलाकर उसके अंदर ही मार डाला।कार  से उतर कर जान बचाकर भाग रहे तीन लोगों को बरगदहा के निकट ही पकड़कर वहीं पर पीट पीटकर मार डाला गया।पुलिस ने प्रधान के पुत्र विजय यादव समेत तीन लोगों को घटना की रात ही गिरफ्तार कर लिया है।
सबसे दुखद तो यह है कि मारा भी गया और जब पुलिस मौके पर पहुँची तो उसे दुर्घटना बताकर सामूहिक हत्याकांड का स्वरूप बदलने की कोशिश की गयी।अगर राज्यसभा सदस्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने हस्तक्षेप न किया होता तो इसे दुर्घटना साबित कर दिया जाता।हत्यारों को प्रदेश के कबीना मंत्री का करीबी बताया जा रहा है इसीलिए मंत्री जी घटना में मारे गये लोगों को अपराधी बता रहे हैं जबकि मीडिया की जाँच पड़ताल मे यह बात झूठी साबित हुयी है।इस घटना में मारे गये किसी भी व्यक्ति का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है।मंत्री जी का बयान योगी सरकार की भावनाओं के अनुकूल नहीं कहा जायेगा क्योंकि इस समय घटना के शिकार लोगों को सांत्वना का समय है।
जिस तरह से नंगा नाच किया गया, लोगों को दौड़ा दौड़ा कर पीट पीटकर मार  डाला गया और दो लोगों को सरेआम कार के अंदर बंद करके जला दिया गया वह सरकार को गौरवान्वित नहीं कर रहा है बल्कि कंलक लगाने वाला है।सवाल इस बात का है कि पुलिस के अकबाल में क्या योगीराज में कमी आ गयी है? कैसे इस तरह का नंगा नाच करने की हिम्मत पैदा हुयी? यह साधारण सामूहिक हत्याकांड नहीं है बल्कि यह हत्याकांड आतंक पैदा करके कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाला है।इसी तरह इसके पहले राजमार्ग पर व अन्य जगहों पर घंटों बेखौफ लूटपाट मारपीट व्यभिचार हत्याकांड की घटना हो चुकी है।
प्रधानी को लेकर दोनों पक्षों में तनातनी चल रही थी इसे पुलिस व प्रशासन जानता था अगर उसने एडवांस प्रकाशन ले लिया होता तो शायद यह खौफनांक सरकार को कंलकित करने वाला हादसा नहीं होता।सरकार का दायित्व बनता है कि इस घटना से जुड़े मंत्री की जाँच करवाकर कार्रवाई करें ताकि भविष्य में कोई मंत्री इस तरह की दुस्साहस करके सरकार को कटघरे में न खड़ा न कर सके।रायबरेली में जिस तरह सरेआम नंगा नाच किया गया उससे लगता है कि पुलिस का खौफ समाप्त हो गया है और प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है।प्रदेश में हो रही ताबड़तोड़ अपराधिक घटनाएँ सरकार के लिये चिंता का विषय है।ऐसी घटनाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिए और ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों को ऐसी सबक मिलनी चाहिए कि लोग भविष्य में नजीर पेश कर सके।
अपराधियों के साथ ही उन्हें संरक्षण देने वाले चाहे अधिकारी कर्मचारी हो चाहे सत्ता या विपक्ष के राजनेता हो के साथ कोई रियायत नहीं होनी चाहिए तथा उन्हें निर्दोष बताकर उनकी पैरोकारी करने वालों के विरुद्ध षड्यंत्र रचने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
                भोलानाथ मिश्र
    वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट,बाराबंकी यूपी।

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