कब्ज़े में भोले शंकर और भगवान विष्णु
मोहम्मद जाहिद
कैलाश मानसरोवर चीन में है , कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं - ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि। हिन्दू धर्म में इसे बेहद पवित्र माना गया है।
हिंदुओं के लिए कैलाश मानसरोवर का मतलब भगवान का साक्षात दर्शन करना है। इस धर्म की मान्यता के अनुसार कैलाश मानसरोवर को ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पहाड़ों की चोटी वास्तव में सोने के बने कमल के फूल की पंखुड़ियां हैं जिन्हें भगवान विष्णु ने सृष्टि की संरचना में सबसे पहले बनाया था। अर्थात भगवान विष्णु की पहली कृति।
हिन्दू धर्म के अनुसार मानसरोवर झील में ही हिन्दू धर्म के भगवान विष्णु का वास है।
इन पंखुड़ियों के शिखरों में ही एक है कैलाश पर्वत। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस पर्वत पर भगवान शिव ध्यान की अवस्था में लीन हैं और उनके इस अध्यात्म से ही चारों तरफ वातावरण बेहद शुद्ध है और कहा जाता है कि अपनी किरणों से उन्होंने पूरी सृष्टि को संतुलित रखा हुआ है।
मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर साक्षात शिव और पार्वती निवास करते हैं।
"परम रम्य गिरवरू कैलासू, सदा जहां शिव उमा निवासू।"
इस अद्भुत और अलौकिक नजारे को देखकर ही लोगों का शिव की मौजूदगी का एहसास हो जाता है। दरअसल कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर चुके मेरे एक मित्र ने बताया कि
"कैलाश पर्वत को देखने पर ऐसा लगता है, मानों भगवान शिव स्वयं बर्फ़ से बने शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस चोटी को ‘हिमरत्न’ भी कहा जाता है।"
पूरी दुनिया में जिस शिवलिंग के प्रतीक के रूप पूजा होती है दरअसल उसका वास्तविक रूप "कैलाश" पर्वत है। कैलाश नाम भी भगवान शंकर का एक दूसरा नाम ही है।
दरअसल हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत पूरे ब्रम्हाण्ड का केन्द्र बिन्दु है और इस पूरे क्षेत्र में जगह जगह हर पहाड़ पर हिन्दुओं के देवी देवताओं का या तो वास है या उनके अभी भी ध्यानलीन होने का विश्वास है या किसी ना किसी कथाओं में उनके देवी-देवताओं का संबंध रहा है।
"हर हर महादेव" जहाँ आज भी विराजमान हैं और यहीं विराजमान भोले शंकर की जटाओं से हिन्दू भाईयों को नहला कर पवित्र कर देने वाली माँ "गंगा" निकलती हैं।
दरअसल हिन्दू धर्म के विश्वास के अनुसार "शिव" एक अदृश्य शक्ति हैं , निराकार हैं , और शिव से ही "ब्रम्हा विष्णु महेश" की उत्पत्ति हुई और इनसे ही पूरी श्रृष्टि और ब्रम्हाण्ड की रचना हुई। हिन्दू धर्म के विश्वास के अनुसार "महेश" अर्थात "जटाधारी शंकर" की पूजा सबसे अधिक होती है , यहाँ तक कि श्रृष्टि में मानव की उत्पत्ति के कारण के रूप में भगवान "शंकर" के लिंग की पूजा होती है।
महेश अर्थात "बम बम भोले" अर्थात हर हर महादेव जहाँ आज भी साक्षात वास करते हैं वह कैलाश मानसरोवर चीन के कब्ज़े में है।
उसकी अनुमति के बिना भारत का सर्वशक्तिमान व्यक्ति भी वहाँ जा नहीं सकता।सिक्किम में नाथू ला दर्रे के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकले 47 भारतीय श्रद्धालुओं को चीन ने भगा दिया और सिक्किम के गैंगटोक में लगभग 100 तिर्थ यात्री फँसः पड़े हैं। चीन के नये फरमान के अनुसार भारत सिक्किम से अपनी सेना हटाए तभी वह यात्रा की अनुमति देगा।
समझिए कि हिन्दू धर्म के अनगिनत देवताओं और साक्षात शंकर भगवान ही चीन के कबज़े में हैं और देश में हिन्दुओं के ठेकेदार लोगों की औकात नहीं कि 1947 से लेकर आजतक एक बयान देते कि भगवान शंकर , भगवान विष्णु समेत तमाम देवी देवताओं को चीन के अपहरण से मुक्त कराओ।
यह भगवान शंकर के वाहन "नंदी" वंश के नाम पर प्रतिदिन देश के मुसलामानों को कूच देंगे परन्तु साक्षात् भगवान शंकर को चीन के अपहरण से मुक्ति दिलाने के लिए कुछ नहीं बोलेंगे।
इनके अनुसार इनका हिन्दुत खतरे में तब पड़ता है जब देश का नंगा भूखा निरिह मुसलमान सामने होता है , वहाँ विष्णु जी और शंकर जी एक नास्तिक देश के कब्ज़े में है तह यह लोग "राघव जी" हो जाते हैं।
बोले तो "खांडू"
विश्वास कीजिए कि हिन्दू धर्म का इतना महत्वपूर्ण कैलाश मानसरोवर यदि पाकिस्तान के कब्ज़े में होता तो अब तक देश में हजारों दंगों में लाखों और मुसलमानों को यह "खांडू" मार डाले होते।
जाओ छुड़ाओ शंकर जी और विष्णु जी को ? देश का मुसलमान तुम्हारे साथ है ? नहीं , तुम तो बस मुगलों की बनाई इमारतों की ज़मीन पर अपने भगवान पैदा कराओ और वोट कमाओ।
जाओगे भोले शंकर और भगवान विष्णु को मुक्त कराने ?
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