एसएसपी के आदेश पर दागी दरोगा की फिर खुली फ़ाइल तत्कालीन एएसपी दे गए थे क्लीन चिट



विवेचना के दौरान कर दिये पर्चा गायब

सुनील कुमार

एटा - जैथरा थाने के तत्कालीन दरोगा की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं | केस डायरी से पर्चा गायब करने के मामले की फ़ाइल फिर खुल गई है| एसएसपी ने पुरानी जांच को ख़ारिज कर नए सिरे जांच बैठा दी है | एएसपी को जांच सौंपी गई है | पीड़िता ने तत्कालीन जांच अधिकारी पर आरोपी दरोगा को बचाने का आरोप लगाया था |

  जैथरा थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है | दुर्घटना का ट्रेक्टर बदलने के मामले में मिस कंडक्ट नोटिस मिलने के बाद तत्कालीन एसओ केस डायरी से पर्चा गायब करने के मामले में फंस गए हैं | थानाक्षेत्र की पीड़िता मुन्नीदेवी ने जैथरा के तत्कालीन एसओ कैलाश चंद्र दुबे पर पति के अपहरण की विवेचना में पर्चा गायब करने व थानाध्यक्ष बनने से पूर्व विवेचना शुरू करने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन एसएसपी से शिकायत की थी। तत्कालीन सीओ की संस्तुति पर तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक विसर्जन सिंह यादव ने विभागीय जांच की। एएसपी ने पीड़िता के बयान दर्ज किए बगैर साक्ष्यों को दरकिनार करते हुए एसओ कैलाश चंद्र दुबे को क्लीनचिट दे दी। पीड़िता ने मामले की पुनः शिकायत एसएसपी अखिलेश चौरसिया से की। जिस पर उन्होंने तत्कालीन एएसपी की जांच रिपोर्ट खारिज कर नये सिरे से जांच करने के आदेश एएसपी संजय कुमार को दिए हैं। एएसपी ने जांच शुरू कर दी है। पीड़िता के बयान दर्ज कर साक्ष्य संकलित किये हैं ।

क्या है मामला
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थाना जैथरा क्षेत्र के गांव दौलतपुर निवासी सत्यराम सिंह (40) को 16 सितंबर 2008 गायब हो गया था। काफी तलाश के बाद जब वह नहीं मिला तो सत्यराम की पत्नी मुन्नीदेवी ने इस मामले की रिपोर्ट थाना जैथरा में कश्मीर सिंह, कृपाल सिंह, अवधेश, प्रमोद के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस तलाश के बाद भी पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा दी। न्यायालय ने पुलिस इस रिपोर्ट को खारिज करते 19 दिसंबर 2012 को हुए पुन: विवेचना करने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई विवेचना में कई विवेचक बदल गए, परन्तु कोई भी अपहृत का पता नहीं लगा सका। पुलिस ने नामजद आरोपियों को गिरफ्तार तक नहीं किया। तत्कालीन विवेचक रवींद्र सिंह ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी करा लिए, परन्तु इस बीच उनका तबादला हो गया। इसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे ने विवेचना की। आरोप है कि तत्कालीन एसओ कैलाश चंद्र दुबे ने राजनैतिक दवाब में आरोपियों को बचाते हुए तत्कालीन विवेचक रवींद्र सिंह के एनबीडब्ल्यू प्राप्त पर्चे गायब करते हुए फाइनल रिपोर्ट न्यायालय को भेज दी। तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे ने थानध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने से पहले ही इस प्रकरण की विवेचना शुरू कर दी थी। विवेचना पर्चा 30 सितम्बर 2015 को काट दिया। जबकि कैलाश चंद्र दुबे को थाना जैथरा का प्रभार सात नवंबर 2015 को मिला था।

क्राइम ब्रांच कर रही अपहरण की जांच
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 एटा-पीड़िता के प्रार्थना पत्र पर तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने अपहरण के मुकदमे की विवेचना क्राइम ब्रांच को सौंप दी। क्राइम ब्रांच ने नामजद आरोपियों को गिरफ्तार करने के स्थान पर अपह्रत के पंपलेट छपवाकर चस्पा कराए हैं। नौ साल बाद भी पुलिस अपहृत का पता नहीं लगा सकी है, जबकि नामजद मुकदमा दर्ज है। पुलिस ने किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी तो दूर, उनसे पूंछ-तांछ तक नहीं की है। आरोपी बेखौफ होकर खुलेआम घूम रहे हैं। परिजन अनहोनी की आशंका व्यक्त कर रहे हैं ।

कोर्ट भी चली शातिर चाल
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एटा- तत्कालीन एसओ ने पर्चा गायब करने के मामले से बचने के लिए काफी चालाकी दिखाई, परन्तु पीड़िता की सक्रियता के आगे उनकी चालाकी न चल सकी। हुआ यूं कि थानाध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने से पहले विवेचना शुरू करने व पर्चा गायब करने की शिकायत करने से पहले पीड़िता ने कोर्ट से सीडी निकलवा ली थी। उसमें तत्कालीन विवेचक रवींद्र सिंह के पर्चा नंबर-9, 10 गायब थे, जिसके आधार पर उसने एसएसपी से शिकायत कर दी। शिकायत के बाद जब उसने कोर्ट से पुनः सीडी निकलवाई, तो उसमें तत्कालीन विवेचक रवींद्र सिंह के पर्चे शामिल मिले और तत्कालीन एसओ का पर्चा नंबर 9 गायब मिला। पीड़िता ने शिकायत से पहले और बाद में निकलवाई दोनों सीडी को साक्ष्य के रूप में एएसपी के समक्ष पेश किया है।

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