ज़्यादा सच बोल दूँ तो कान फट जाएगा।
अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मुसलमानों की नहीं थी , ड्राईवर सलीम की भी नहीं थी , यह पूरी ज़िम्मेदारी केन्द्र और जम्मू काश्मीर की महबूबा-भाजपा सरकार की थी , तीर्थयात्री मारे गये तो यह विफलता मुसलमानों की नहीं थी , सलीम की भी नहीं थी।
यह विफलता केन्द्र की बाहुबली सरकार और उनकी महबूबा की थी , जम्मू-काश्मीर भारत का सबसे संवेदनशील राज्य है वहाँ रोज़ ही लोग मारे जाते हैं , कभी नागरिक मारे जाते हैं तो कभी सेना और पुलिस , तो इस बार तीर्थयात्री मारे गये , तो उसकी भी ज़िम्मेदारी भी केन्द्रीय सरकार और उसकी महबूबा की थी।
45 हजार सुरक्षाबल , अनगिनत चाॅपर , सेटेलाइट की सहायता , तमाम हाइटेक तकनीक , ड्रोन और हर चार बस को घेरकर उसे सुरक्षा घेरे में लेकर यात्रा कराने के बावजूद यदि बस पर फायरिंग हुई और लोग मरे तो जिसकी जवाबदेही है उससे सवाल पूछिए। किसी को दामाद मत बनाइए कि इतनी गलती के बाद भी उससे कोई सवाल ना पूछे।
अपनी झल्लाहट निकालने के लिए अपनी सरकारों से सवाल पूछने की बजाए इमाम को मस्जिद से खींच कर मार दिया है तो अच्छा किया , आपका यही चरित्र है , हम बर्दाश्त कर लेंगे।
हम इस गाँधी के देश के हैं हमारे अंदर गाँधी हैं तो हमारे पास नबी स• की सुन्नते भी हैं।
मौहम्मद ज़ाहिद, फ़ेसबुक सेलेब्रेटी की वाल से...
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